निजीकरण के विरूद्ध विद्युत संविदा कर्मी 17 को करेंगे प्रदेश व्यापी विरोध
30 हज़ार संविदा कर्मचारियों की आजीविका पर निजीकरण का ख़तरा : आरएस राय
लखनऊ 8 दिसंबर।
विद्युत संविदा कर्मचारी महासंघ उत्तर प्रदेश ने 17 दिसंबर को प्रदेशव्यापी विरोध का ऐलान किया है। विद्युत कर्मचारी सरकार की निजीकरण की घोषणा से खासे नाराज हैं। यह निर्णय महासंघ के केन्द्रीय कार्यालय हमबरा अपार्टमेंट मैं आयोजित मीटिंग में लिया गया है। बैठक की अध्यक्षता वरिष्ठ मज़दूर नेता अरुण कुमार ने की।
विद्युत संविदा कर्मचारी महासंघ उत्तर प्रदेश के मीडिया प्रभारी विमल चंद्र पांडेय ने बताया कि बैठक में आउट सोर्स एजेंसियों द्वारा धरना प्रदर्शन में भाग लेने पर संविदा कर्मियों को निकाले जाने और ब्लैकलिस्ट किए जाने के धमकी भरे आदेश से कर्मचारियों में नाराजगी है। उन्होंने इसे श्रम क़ानूनों के विरूद्ध बताया है । उन्होंने बताया कि बैठक मे विद्युत संबिदा मज़दूर संगठन उप्र, विद्युत संबिदा कर्मचारी संघ उप्र, केस्को संविदा कर्मचारी यूनियन, निविदा संविदा सेवा समिति तथा विद्युत दैनिक वेतन कर्मचारी संघ के प्रतिनिधियों ने हिस्सा लिया। बैठक में सर्वसम्मति से निर्णय लिया गया कि 17 दिसंबर 2024 को ड्यूटी के समय काला फ़ीता बाँधकर हर ज़िले में संविदा कर्मियों द्वारा निजीकरण के निर्णय का विरोध किया जाएगा। सभी संविदा कर्मी उपभोक्ताओं के हित मे एक घंटे अधिक कार्य करेंगे।
30 हज़ार संविदा कर्मचारियों की आजीविका पर निजीकरण का ख़तरा : आरएस राय
बैठक को संबोधित करते हुए महासंघ के प्रान्तीय अध्यक्ष आरएस राय ने कहा कि आठ- नौ हज़ार रुपये के मामूली वेतन और बिना सुरक्षा उपकरणों के लगभग 65 हज़ार संविदा कर्मी कार्य कर रहे हैं। संविदा कर्मियों द्वारा अनेक वर्षों से विद्युत व्यवस्था को सुचारू रूप से चलाने के लिए दिन रात 12 से 14 घंटे काम किया जा रहा है । जिनमें से लगभग 30 हज़ार संविदा कर्मचारियों की आजीविका पर अब निजीकरण के कारण ख़तरा उत्पन्न हो गया है।
राजस्व वसूली में कमी की आड़ मे पूर्वांचल और दक्षिणांचल विद्युत वितरण निगमों का निजीकरण
विद्युत संविदा कर्मचारी महासंघ उत्तर प्रदेश के मीडिया प्रभारी विमल चंद्र पांडेय ने बताया कि महासंघ के प्रान्तीय अध्यक्ष आरएस राय ने क्षोभ व्यक्त करते हुए कहा कि ऊर्जा मंत्री एवं चेयरमैन के आश्वासन के बावजूद पूर्वांचल विद्युत वितरण निगम द्वारा गत मार्च 2023 की हड़ताल में निकाले गए और हाल में छंटनी किए गए निर्दोष संविदा कर्मियों को अभी तक काम पर वापस नहीं लिया गया है। उन्होंने राजस्व वसूली में कमी की आड़ मे पूर्वांचल और दक्षिणांचल विद्युत वितरण निगमों का निजीकरण करके प्रदेश की जनता की करोड़ों रुपये की परिसंपत्तियों को नीजी कम्पनियों को सौंपने की कार्यवाही को जनहित विरोधी बताया। बैठक में महासंघ के घटक संगठनों के प्रमुख पदाधिकारियों पुनीत राय, दिनेश कुमार, रियाज्जुदीन, विनोद कुमार श्रीवास्तव, विपिन विश्वकर्मा, धनंजय राजभर, केदारनाथ गौतम, प्रियांशु सिंह, राजू अंबेडकर, अब्दुल्ल मन्नान , साकिब मंसूरी, सुरेंद्र प्रसाद, सुरेंद्र कुमार विश्वकर्मा, अयाज, सैयद जुल्फिकार हुसैन, राहुल कुमार, आरपी पाल सहित भी मौजूद रहे।