IRITM के अफसरों ने सीखा अचानक हृदयाघात से बचाव के तरीके
अचानक हृदयाघात (SCA) से भारत में हर साल 8-10 लाख लोगों की होती है मृत्यु
भारतीय रेलवे परिवहन प्रबंधन संस्थान, लखनऊ में CPR जागरूकता कार्यशाला
CPR एक सरल जीवन रक्षक कौशल है और इसे आसानी से सीखा जा सकता है
दर्शकों ने उत्साहपूर्वक पुतले पर सीपीआर करने का तरीका सीखा
ऑटोमेटेड एक्सटर्नल डिफिब्रिलेटर (एईडी) या शॉक मशीन नामक जीवन रक्षक उपकरण का उपयोग करने के सुझाव
संजय गांधी पीजीआई के कार्डियोलॉजी विभागाध्यक्ष प्रोफेसर आदित्य कपूर ने कार्डियक अरेस्ट पर व्याख्यान दिया
लखनऊ, 19 दिसम्बर।
संजय गांधी पीजीआई के कार्डियोलॉजी विभागाध्यक्ष प्रोफेसर आदित्य कपूर ने गुरुवार को भारतीय रेलवे परिवहन प्रबंधन संस्थान के अफसरों को हृदयाघात से बचाव के तरीके सिखाए।उन्होंने कहा कि अचानक हृदयाघात (SCA) से भारत में हर साल लगभग 8-10 लाख लोगों की मृत्यु होती है और यह किसी को भी, कभी भी और कहीं भी हो सकता है।
प्रोफेसर आदित्य कपूर ने कहा कि हालाँकि SCA पीड़ितों को आम लोगों द्वारा बचाया जा सकता है, लेकिन ऐसे आपातकालीन स्थितियों से निपटने के बारे में लोगों में कम जागरूकता और ज्ञान के कारण लगभग 95 प्रतिशत पीड़ितो की जान नहीं बच पाती है। प्रोफेसर आदित्य कपूर ने कहा किआसपास खड़े लोगों द्वारा जीवन रक्षक उपाय शुरू करने में हर 1 मिनट की देरी से बचने की संभावना 10% कम हो जाती है। अगर आम लोगों को कार्डियो-पल्मोनरी रिससिटेशन (CPR) करने के तरीके के बारे में जागरूक किया जाए, तो वे तुरंत इसे शुरू कर सकते हैं। वह पीड़ित की जान बचाने में मदद भी कर सकते हैं। CPR एक सरल जीवन रक्षक कौशल है और इसे आसानी से सीखा जा सकता है जिससे मरीज को चिकित्सा सहायता आने तक कुछ महत्वपूर्ण मिनट अतिरिक्त मिल जाते हैं।
प्रोबेशनर्स को विशेष फाउंडेशन कोर्स के हिस्से के रूप में दी गई जान बचाने की ट्रेनिंग
भारतीय रेलवे परिवहन प्रबंधन में नए अधिकारियों के लिए विशेष फाउंडेशन कोर्स के हिस्से के रूप में CPR जागरूकता कार्यशाला आयोजित की गई। संजय गांधी पीजीआई के कार्डियोलॉजी विभागाध्यक्ष प्रोफेसर आदित्य कपूर ने कार्डियक अरेस्ट पर व्याख्यान दिया। प्रोफेसर कपूर ने अधिकारियों को केवल हाथों से सीपीआर करने की तकनीक का प्रशिक्षण दिया। इसके अलावा, अधिकारियों को कई आपात स्थितियों का बारे में भी बताया गया। जिसमें कई महत्वपूर्ण विंदु शामिल किए गए। अचानक कार्डियक अरेस्ट को कैसे पहचानें, सीपीआर की तकनीक पर सुझाव, ऑटोमेटेड एक्सटर्नल डिफिब्रिलेटर (एईडी) या शॉक मशीन नामक जीवन रक्षक उपकरण का उपयोग करने के सुझाव शामिल हैं।
इस अवसर पर शिशिर सोमवंशी, डीन/आईआरआईटीएम और स्वदेश सिंह, वरिष्ठ प्रोफेसर/आईआरआईटीएम भी मौजूद रहे।और उन्होंने अधिकारियों को पूरे मन से भाग लेने के लिए प्रेरित किया। नए अफसरों ने उत्साहपूर्वक पुतले पर सीपीआर करने का तरीका सीखा और दर्शकों के सवाल-जवाब के साथ कार्यशाला का समापन किया गया। प्रोफेसर आदित्य कपूर ने कहा कि हमें उम्मीद है कि धीरे-धीरे, न केवल लखनऊ शहर, बल्कि पूरा उत्तर प्रदेश सीपीआर के प्रति जागरूकता आयेगी। जिससे हम अधिक से अधिक लोगों की जान बचा पाएंगे। किसी की जान बचाने की शक्ति हम सभी में है। सीपीआर सीखकर, हम उन क्षणों में सबसे पहले प्रतिक्रिया देने वाले बन जाते हैं जब हर सेकंड मायने रखता है। आपातकालीन स्थिति में ज्ञान और सक्रिय दृष्टिकोण के माध्यम से, हम आम लोगों को असाधारण नायकों में बदल सकते हैं।